नारायण बलि (शुध्‍द)


 ।। नारायण बलि पुजा ।।
नारायण बलि पुजा याने भगवान नारायण को बलि या नारायण की बलि एसा अर्थ कई लोग लगाते है ये दोनो अर्थ गलत है.
नारायण बलि पुजा का अर्थ है गुजर गई व्‍यकि को भगवान नारायण स्‍वरूप मानके भगवान नारायण कि पुजा करणा.
नारायण बलि पुजा अनेक रूप मे मेहेत्‍व पुर्ण है.
कोई व्‍यक्‍ती आपघात मे गुजर गयि हो,या पानि मे डुबने से मृत्‍यु हुवि हो,या जलकर मृत्‍यु हुवि हो, या उचाई से गिरकर मृत्‍यु हुवि हो, या किसिने आत्‍म हत्‍या कि हो, या किसिको घरमे या स्‍वप्‍न या कहि भि गुजर गई व्‍यक्ति दिखई देति हो, या घरेलु जानवर के भि ये पुजा  कि जाति है.
यह पुजा से सर्व दोक्ष नष्‍ट हो जाते है.
यह पुजा करने से मृत व्‍यक्‍ती को तुरंत स्‍वर्ग कि प्राप्‍ती का फल दिया गया है.
जो व्‍यक्‍ती गुजर गई है उसके निमित्‍य ग्‍यारवे दिन पुजा करना सर्वोत्‍तम है. पर किसि वजहसे न हो पाये तो सव्‍वा महिने पुरे होने से पेहेले यह पुजा आवश्‍य कराये.
यदि न हो पाये तो उमावस के दिन कराये लेकिन यह दोक्ष आगलि पिढि मे पोहेचेगा ईतना याद रखिये.
 ………………………………………………………………………………………………
पुजा क्रम
सबसे पेहेले दोनो आखोंको जल लगाकर शरिर शुध्‍द कराया जाता है.फिर तिन बार जल पिकर मन शुध्‍द कराया जाता है. फिर संकल्‍प के व्‍दारा अपनि मनोकामना भगवान से कहि जाति है. फिर यम के साथ उनके 13 सेवक (दुत) कि पुजा कि जाति है. यिन का नाम ईस प्रकार है.
1)यम 2)धर्मराज 3)मृत्‍यु 4)अंतक 5)वैवस्‍वत 6)काल 7)सर्वभुत 8)औदुंबर 9)दध्‍न  10)निल 11)परमेष्टि 12)वृकोदर13)चित्र 14)चित्रगुप्‍त
                                            भगवान कृष्‍ण कि राणि का पुजन 
उनके नाम ईस प्रकार है.(अष्‍टशक्ति)
1)रूक्मिणि 2) सत्‍यभामा 3)जांबुवति 4)सत्‍या 5)कालिंदि 6)मित्रवृंदा 7)लक्ष्‍मणा 8)चारूहासिणि
बाद मे कलश पुजन किया जाता है. क्‍युकि भगवान को कलशो का आसन दिया जाता है.
बाद मे पाच देवताओं कि पुजा काराई जाति है. उनके नाम ईस प्रकार है.
1) ब्रम्‍हा 2) विष्‍णु 3) यम 4) काल 5) तत्‍पुरूष है.
ये पाच भगवान पुजा के मुख्‍य भगवान है. बाद मे भगवान को असन पे बिठाकर हवन किया जाता है क्‍युकि भगवान का मुख अग्नि है फिर विष्‍णु दुतो का पिंडदान भगवान के पिंड के साथ किया जाता है.क्‍युकि या नारायण बलि है ईसि लिये विष्‍णु दुतो का पिंडदान आवश्‍यक होता है. नाम ईस प्रकार है.
।। भगवान के पिंड ।।
1)      ब्रम्‍हा 2) विष्‍णु 3) यम 4) काल 5) तत्‍पुरूष
                     ।। विष्‍णु दुतो का पिंडदान ।।
1) विष्‍णु 2) शिव 3) यम 4) सोम 5) हव्‍यवाहन 6) कव्‍यवाहन 7) मृत्‍यु 8) रूद्र 9) पुरूष 10) प्रेत 11) विष्‍णु
पिंड पुजन के बाद भगवान के आर्शिवाद से पुजन पुरा होता है.